Monday 30 December 2019

मधुमेह प्रबंधन के लिए प्राकृतिक चिकित्सा


मधुमेह प्रबंधन के लिए प्राकृतिक चिकित्सा:
आजकल की भागदौड़ भरी जीवन में स्वस्थ और प्रसन्न चित्त रहना मुश्किल हो गया है I आधुनिक कंप्यूटरीकृत और मोबाइल केंद्रिक जीवन रोज-रोज नई रोगों का जन्म दे रही है और हमारी शारीरिक कार्यक्षमता को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है
हमारा शरीर जो पंचमहाभूत (भू, जल, अग्नि, वायु  और आकाश) का बना है, जो कि प्राकृतिक नियमों से बंधा हुआ है I इस नियम के अंतर्गत प्राकृतिक चिकित्सा विज्ञान की थेरेपी, योग  तथा मेडिटेशन के साथ साथ प्राकृत भोजन जो सीधे प्रकृति से मिलती है के रूप में लिया जाता है I
आए दिन अपनी दिनचर्या को अव्यवस्थित कर नए रोगों को अपने शरीर में आमंत्रित करते हैं I मधुमेह रोग इसी तरह का एक लाइफ़स्टाइल रोग है I

आइए आप जानते हैं मधुमेह पर कैसे नियंत्रण पा सकते हैं
मधुमेह को प्राकृतिक चिकित्सा द्वारा पूर्ण रूप से स्वास्थ्य लाभ कराया जा सकता है बशर्ते की बीमारी की पहचान प्रथम अवस्था में ही हो I मधुमेह टाइप वन की भी चिकित्सा थोड़ी लंबी अवधि तक करने से रोग मुक्त हो जाते हैं I
आपको अपनी दिनचर्या की पूर्ण रूप से व्यवस्थित तथा प्राकृतिक चिकित्सा विधान, योग तथा ध्यान के साथ साथ आहार पर नियंत्रण कर मधुमेह रोग से मुक्त रखा जा सकता है I इसके अलावा Beyond Three (स्वामी आनंद मार्गदर्शित) योगिक तकनीक* करने से बिना किसी दवा के बीमारी को जल्दी ठीक करने में मदद मिलती है इस योगिक टेक्निक से हमें उत्साहवर्धक परिणाम मिले हैं I

रोगी को किसी भी चिकित्सा पद्धति में विश्वास होना अनिवार्य है I
आहार :
सबसे पहले हमें आहार पर ध्यान देना होगा I भोजन में कुछ बातों का ध्यान रखने से काफी हद तक हम मधुमेह रोग पर काबू पा सकते हैं I पहली बार यथासंभव एक ही समय में एक ही प्रकार का भोजन करें I इसका मतलब जो भी अनाज या फल या कोई पेय पदार्थ , एक ही ले I
भोजन को बहुत अच्छी तरह चबा चबा कर तरल बन जाने पर ही अंदर आने दे I भोजन के 30 से 45 मिनट उपरांत ही पानी का सेवन करें I चाय कॉफी या दूध का इस्तेमाल करना फायदेमंद नहीं होगा I पेट को एक चौथाई खाली रखें I कम से कम 4 घंटे के बाद ही दूसरा भोजन करें I भोजन में 500 ग्राम के आसपास उबली हुई हरा सब्जी जैसे पालक, मेथी, खीरा, लौकी, तरोई, गाजर, मूली, बीट, शलगम आदि का सेवन करें I
आपके शरीर में अम्ल छार का समन्वय होना जरूरी है एक निरोगी शरीर में 80% छारीय 20% अम्लीय होता है I जब यह मात्रा में असंतुलन होता है, तो हमारा शरीर रोग ग्रस्त हो जाता हैI रोग रहित शरीर में आत्मा शांत और प्रफुल्लित रहता है I रात्रि में भोजन ना लें तो अच्छा , अगर ले तो बहुत ही कम मात्रा में उबले हुए मिक्स सब्जी को जीरा देसी घी का तड़का लगा कर सूर्यास्त के बाद 7:00 से 7:30 तक ही में ही ले I भोजन में हरा धनिया पत्ता,  पुदीना पत्ता के चटनी का उपयोग करें I नींबू का रस बहुत ही अच्छा होता है इसे चटनी में मिलाकर या सलाद में मिला कर खाया जा सकता है I

मैदा, नमक, चीनी का प्रयोग वर्जित है I
इसके स्थान पर सेंधा नमक, चोकर युक्त गेहूं का आटा और देसी गुड़ का प्रयोग में ले सकते हैं I
देर रात तक नहीं जगना चाहिए कोशिश यह करना चाहिए कि आप आप शीघ्र ही सो जाए और सुबह सुबह जल्दी उठने का प्रयत्न करें I सोने से पहले शांत मन से अपनी दिनचर्या का अवलोकन करें I गलती होने पर आगे गलती न दोहराने की सोच बढ़ाए I 
हर वक्त फेसबुक व्हाट्सएप में मैसेज पढ़ना या देखना कम कर एक निश्चित समय अवधि में ही देखें और जवाब दें I हर वक्त खुश रहने की कोशिश करें I अगर नींद ना आए तो रचनात्मक किताब पर है, गायत्री मंत्र या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें या लेखन करेंI फिर भी अगर नींद ना आए तो एक सौ से उल्टी गिनती उल्टी गिनती धीरे धीरे करने से नींद आ जाती है, इसका प्रयास करना चाहिए I

आसन :
प्रतिदिन हल्का-फुल्का योग आसन करने से शरीर में एक नई ऊर्जा की संचार होती है I मधुमेह रोगी को कुछ आसन नियमित करना होता है I जिसमें से प्राणायाम में अनुलोम विलोम ,भास्त्रिका, कपालभाति,  उज्जायी और भ्रमरी हैI इसके अलावा ताड़ासन, हस्त पादासन, अग्निसार क्रिया, कुंभक क्रिया, वज्रासन, सुप्त वज्रासन, भुजंगासन, हलासन, शलभासन, सूर्यनमस्कार आदि महत्वपूर्ण आसन है I

प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति:
चिकित्सक की सलाह पर निम्नलिखित दिए गए पद्धति का अनुसरण करें:
1. नस्यपुरन चिकित्सा,  नाक से भाप - 8 -10 मिनट
2. नेति / रबर् नेति / कुन्जल्
3. आन्खो  पर - मिट्टी  पेक् /प्रछलन् /त्राटक
4. गरम बोतल्  सिकाइ - मिट्टीलेप /ठण्डी पट्टि / एनिमा /ऒशधि एनिमा------
5. कटि  स्नान्  (हिप् बाथ् ) - ठण्डा /नोर्मल् /गरम /अलटरनेटिव (गरम-ठण्डा )
6. रीढ स्नान्  (स्पाइनल् बाथ् ) - ठण्डा /नोर्मल् /गरम /अलटरनेटिव (गरम-ठण्डा )
7. पैरो का स्नान् (फ़ुट बाथ् ) -- ठण्डा / गरम /अलटरनेटिव (गरम-ठण्डा )
8. बाहो का स्नान् (आर्म बाथ् ) - ठण्डा / गरम /अलटरनेटिव (गरम-ठण्डा )
9. मेहन् स्नान् (फ़िक्सन्  सिट्ज बाथ् )
10. भाप स्नान् ( सोना बाथ् )/ सूर्य स्नान् (सन बाथ् )/सूर्य बाष्प स्न्नान् (पेक् सन बाथ्)
11. लोकल भाप् - ठण्डी  पट्टि / मिट्टी लेप
12. त्वचा रोग  या अन्य समस्या वाले स्थलो पर प्रतिदिन  2-3 बार मिट्टी लेप
13. सम्पूर्ण शरीर मिट्टी लेप
14. सम्पूर्ण गीली चदर् कम्बल लपेट
15. ठण्डा लपेट  - सिर /गर्दन /छाति /पेट /रीढ/शरीर के अन्य अन्ग
16. गरम लपेट  - गला /छाति /पेट /घुट्ना  /कलाई /पूर्ण पेर /पुरी बाह
17. गरम ठण्डा लपेट - सिर /फ़ेफ़् ड अ /गुर्दा /पेट /कटि प्रदेश
18. पेट पर बारी -बारी  से गरम और    ठण्डा लपेट
19. मालिश् 
20. एकुप्रेशर
अधिक जानकारी के लिए आप आरोग्य नेचर क्योर प्राकृतिक चिकित्सा क्लिनिक
में अपॉइंटमेंट लेकर मिल सकते हैं डॉ. अमित कुमार सेन तथा  डॉ. सुपर्णा सेन के द्वारा सभी प्रकार के प्राकृतिक चिकित्सा उपलब्ध कराई जाती हैI Contact No: 9717778537, 9810245871



Friday 22 February 2019

Health Care


Health Care

Travel for Health purposes is not new phenomenon. Medial Tourism or travel is act of traveling to other countries to obtain medical procedures under illness include medical check-ups, Health screening, Dental Treatment, joint-replacement, Heart Surgery, Cancer treatment, Neurosurgery, Transplants etc.The Wellness segment of medical and healthcare tourism promotes healthier lifestyles. India is a recent entrant into Medical Tourism. India’s medical tourism is a growing sector and expected to experience an annual growth rate of 30%. The major Indian Health destinations include Bangalore, Chennai, Delhi, Mumbai. Advantages for medical tourists include reduced costs, the availability of latest medical technologies and growing compliance on international quality standards and less language barriers.

Tuesday 29 January 2019

Yoga / Diet & Nutrition

 

Yoga / Diet & Nutrition

The word Yoga comes from the Sanskrit word ‘Yuj’ which means Union. Here it denotes the Union of the Mind, the Body and the Spirit. It also refers to the Union of Oneself with the Universe itself. This holistic science emphasizes that this Union is necessary for a person seeking good health and well-being.
The various modalities include yogic shat kriyas, patanjali yoga, hatha yoga, therapeutic yoga, meditaion etc. and are prescribed as per individual physical consideration and needs.
Diet is the first line of defense against illness and is a powerful tool for sustained health; recovery and positive mental attitudes. Our Diet Counselor will prepare personalized Diet Chart and suggest lifestyle modifications to meet your requirements.

मधुमेह प्रबंधन के लिए प्राकृतिक चिकित्सा - डॉ. अमित सेन


                                              मधुमेह प्रबंधन के लिए प्राकृतिक चिकित्सा:

आजकल की भागदौड़ भरी जीवन में स्वस्थ और प्रसन्न चित्त रहना मुश्किल हो गया है। 
आधुनिक कंप्यूटरीकृत और मोबाइल केंद्रिक जीवन रोज-रोज नई रोगों का जन्म दे रही है 
और हमारी शारीरिक कार्यक्षमता को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है 

हमारा शरीर जो पंचमहाभूत (भू, जल, अग्नि, वायु  और आकाश) का बना है, जो कि 
प्राकृतिक नियमों से बंधा हुआ है  इस नियम के अंतर्गत प्राकृतिक चिकित्सा विज्ञान की 
थेरेपी, योग  तथा मेडिटेशन के साथ साथ प्राकृत भोजन जो सीधे प्रकृति से मिलती है 
के रूप में लिया जाता है 

आए दिन अपनी दिनचर्या को अव्यवस्थित कर नए रोगों को अपने शरीर में आमंत्रित करते हैं 
मधुमेह रोग इसी तरह का एक लाइफ़स्टाइल रोग है

आइए आप जानते हैं मधुमेह पर कैसे नियंत्रण पा सकते हैं


मधुमेह को प्राकृतिक चिकित्सा द्वारा पूर्ण रूप से स्वास्थ्य लाभ कराया जा सकता है बशर्ते की बीमारी की पहचान प्रथम अवस्था में ही हो  मधुमेह टाइप वन की भी चिकित्सा थोड़ी लंबी अवधि तक करने से रोग मुक्त हो जाते हैं I

आपको अपनी दिनचर्या की पूर्ण रूप से व्यवस्थित तथा प्राकृतिक चिकित्सा विधान, योग तथा ध्यान के साथ साथ आहार पर नियंत्रण कर मधुमेह रोग से मुक्त रखा जा सकता है  


रोगी को किसी भी चिकित्सा पद्धति में विश्वास होना अनिवार्य है 

आहार :

सबसे पहले हमें आहार पर ध्यान देना होगा  भोजन में कुछ बातों का ध्यान रखने से काफी हद तक हम मधुमेह रोग पर काबू पा सकते हैं  पहली बार यथासंभव एक ही समय में एक ही प्रकार का भोजन करें  इसका मतलब जो भी अनाज या फल या कोई पेय पदार्थ , एक ही ले

भोजन को बहुत अच्छी तरह चबा चबा कर तरल बन जाने पर ही अंदर आने दे  भोजन के 30 से 45 मिनट उपरांत ही पानी का सेवन करें  चाय कॉफी या दूध का इस्तेमाल करना फायदेमंद नहीं होगा  पेट को एक चौथाई खाली रखें  कम से कम 4 घंटे के बाद ही दूसरा भोजन करें 

भोजन में 500 ग्राम के आसपास उबली हुई हरा सब्जी जैसे पालक, मेथी, खीरा, लौकी, तरोई, गाजर, मूली, बीट, शलगम आदि का सेवन करें I 

आपके शरीर में अम्ल छार का समन्वय होना जरूरी है एक निरोगी शरीर में 80% छारीय 20% अम्लीय होता है  जब यह मात्रा में असंतुलन होता है, तो हमारा शरीर रोग ग्रस्त हो जाता है रोग रहित शरीर में आत्मा शांत और प्रफुल्लित रहता है I रात्रि में भोजन ना लें तो अच्छा , अगर ले तो बहुत ही कम मात्रा में उबले हुए मिक्स सब्जी को जीरा, देसी घी का तड़का लगा कर सूर्यास्त के बाद 7:00 से 7:30 तक ही में ही ले I भोजन में हरा धनिया पत्ता,  पुदीना पत्ता के चटनी का उपयोग करें I नींबू का रस बहुत ही अच्छा होता है इसे चटनी में मिलाकर या सलाद में मिला कर खाया जा सकता है I  मैदा, नमक, चीनी का प्रयोग वर्जित है I इसके स्थान पर सेंधा नमक, चोकर युक्त गेहूं का आटा और देसी गुड़ का प्रयोग में ले सकते हैं I

देर रात तक नहीं जगना चाहिए कोशिश यह करना चाहिए कि आप आप शीघ्र ही सो जाए और सुबह सुबह जल्दी उठने का प्रयत्न करें  सोने से पहले शांत मन से अपनी दिनचर्या का अवलोकन करें  गलती होने पर आगे गलती न दोहराने की सोच बढ़ाए   

हर वक्त फेसबुक व्हाट्सएप में मैसेज पढ़ना या देखना कम कर एक निश्चित समय अवधि में ही देखें और जवाब दें  हर वक्त खुश रहने की कोशिश करें I अगर नींद ना आए तो रचनात्मक किताब पर है, गायत्री मंत्र या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें या लेखन करें I फिर भी अगर नींद ना आए तो एक सौ से उल्टी गिनती उल्टी गिनती धीरे धीरे करने से नींद आ जाती है, इसका प्रयास करना चाहिए I

आसन : 

प्रतिदिन हल्का-फुल्का योग आसन करने से शरीर में एक नई ऊर्जा की संचार होती है  मधुमेह 
रोगी को कुछ आसन नियमित करना होता है जिसमें से प्राणायाम में अनुलोम विलोम ,भास्त्रिका, कपालभाति,  उज्जायी और भ्रमरी है
इसके अलावा ताड़ासन, हस्त पादासन, अग्निसार क्रिया, कुंभक क्रिया, वज्रासन, सुप्त वज्रासन, भुजंगासन, हलासन, शलभासन, सूर्यनमस्कार आदि महत्वपूर्ण आसन है  

प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति: 

चिकित्सक की सलाह पर निम्नलिखित दिए गए पद्धति का अनुसरण करें:
1. नस्यपुरन चिकित्सा,  नाक से भाप - 8 -10 मिनट
2. नेति / रबर् नेति / कुन्जल्
3. आन्खो  पर - मिट्टी  पेक् /प्रछलन् /त्राटक
4. गरम बोतल्  सिकाइ - मिट्टीलेप /ठण्डी पट्टि / एनिमा /ऒशधि एनिमा------
5. कटि  स्नान्  (हिप् बाथ् ) - ठण्डा /नोर्मल् /गरम /अलटरनेटिव (गरम-ठण्डा )
6. रीढ स्नान्  (स्पाइनल् बाथ् ) - ठण्डा /नोर्मल् /गरम /अलटरनेटिव (गरम-ठण्डा )
7. पैरो का स्नान् (फ़ुट बाथ् ) -- ठण्डा / गरम /अलटरनेटिव (गरम-ठण्डा )
8. बाहो का स्नान् (आर्म बाथ् ) - ठण्डा / गरम /अलटरनेटिव (गरम-ठण्डा )
9. मेहन् स्नान् (फ़िक्सन्  सिट्ज बाथ् )
10. भाप स्नान् ( सोना बाथ् )/ सूर्य स्नान् (सन बाथ् )/सूर्य बाष्प स्न्नान् (पेक् सन बाथ्)
11. लोकल भाप् - ठण्डी  पट्टि / मिट्टी लेप
12. त्वचा रोग  या अन्य समस्या वाले स्थलो पर प्रतिदिन  2-3 बार मिट्टी लेप
13. सम्पूर्ण शरीर मिट्टी लेप
14. सम्पूर्ण गीली चदर् कम्बल लपेट
15. ठण्डा लपेट  - सिर /गर्दन /छाति /पेट /रीढ/शरीर के अन्य अन्ग
16. गरम लपेट  - गला /छाति /पेट /घुट्ना  /कलाई /पूर्ण पेर /पुरी बाह
17. गरम ठण्डा लपेट - सिर /फ़ेफ़् ड अ /गुर्दा /पेट /कटि प्रदेश
18. पेट पर बारी -बारी  से गरम और    ठण्डा लपेट
19. मालिश्  
20. एकुप्रेशर

उपरोक्त सारे बिंदुओं पर गौर करने तथा उसके अनुसार चलने से रोगी मधुमेह रोग पर काबू पा लेता है विशेष जानकारी तथा थेरेपी के लिए डॉक्टर साहब से संपर्क कर सकते हैं। Contact No: 9717778537